My thinking | अविनाश पाठक

सामान्यता मैं पूरे विश्व को अपना परिवार मानता  हूं पर मैं कभी कभी छोटा भी सोचता हूं तब मैं केवल अपने देश के बारे में सोचता हूं पर मुझे आश्चर्य होता है कि लोग देश के बारे में ही नहीं सोचते सुबह कितनी संकीर्ण मानसिकता से प्रभावित है विश्व में   700 करोड़ की आबादी है और हम केवल अपने बारे में सोच रहे हैं विचार कीजिए क्या यह सह.
भारत की संस्कृति ही इकलौती ऐसी संस्कृति है जो समस्त  विश्व के विकास के बारे में सोचती है उसी संस्कृति से हम नाता रखते हैं   - अविनाश पाठक

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