विचारक समूह या थिंक टैंक उस संस्था को कहते हैं जो सामाजिक नीति, राजनैतिक रणनीति, अर्थनीति, सैन्य नीति, प्रौद्योगिकी और संस्कृति जैसे विषयों पर गम्भीर व्यावहारिक चिन्तन करतीं हैं। इन्हें अनुसंधान संस्थान या नीति संस्थान भी कहते हैं। मैने 2009 में गुरु दीक्षा संस्कार के बाद विश्व का सबसे बडा लेखक, और मार्शल आर्ट्स की विचार आया था, पर 2012 में उसपर काम शुरू किया, कृष्ण अष्टमी 2013 से लेखन कार्य शुरु 14 वर्ष का था , पर दिशा मिल चुकी है। 12+ सालो में भारत और विश्व के लिए जो नीतियां लिखी है , 📚 वो दुनिया के के भले, जीव जाति 🌍 और मानव जाति के हित में है। ~ अविनाश पाठक
आज हम अच्छे खासे बटते जा रहे है, जातियों के नाम पर सस्थां तक चलती है, फिर अध्यक्ष, और हसी और आती है जब कोई कहता है फलाना समाज ढिमाका समाज, का कार्यक्रम मानवता की पहचान पहले हो, द्वितीय स्तर पर गुण, बहुत है किसी की पहचान के लिए और क्या चाहिए ? वर्ण व्यवस्था को अच्छा खासा समय दिया, अपने मूल अध्यन को थोड़ा छोड़ के, मैने सोचा पहले ढंग से समझ लिया जाय, वास्तव मे एक भी कमी नही एक भी भेदभाव नही बह कर्म की पहचान हेतु था, और अच्छा लचीलापन था कोई भी, कर्म करके उपर नीचे हो सकता था, पर आज के जड़ बुद्धि जैसे समय के साथ नही सोच पा रही वैसे ही यहाँ के लोग हो गए ,। में पंडित इसलिए लिखता हूँ क्योकि मैने निर्णय लिया की मानवता को दिशा शिक्षा के द्वारा यही कर्म (bhagwat gita मे श्री कृष्ण ने बताया) वही कर्म करते हुए मुझे दुनिया के विरुद्ध भी जाना पड़े तो न हटने बाला, सत्य से बड़ा कोई धर्म नही, ये लिखने मे भी रोचक है , आर्य युग मे शादी के लिए क्या चाहिए होता था? मानव हो और योग्य हो, (होमो सेपियेन्स, Eligible) ये वैदिक नियम है (जिसमे 8 प्रकार की शादी बताई गयी ...
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