जिस कदम युवा बड़े उस कदम जमाना है.................

कुछ अपने सभी दोस्तों से कहना चाहता हु, कविता के माध्यम से जो मेरे #महान_भारत के सपने और उसके लोगो का वर्णन कर रही है। 


#जिस_कदम_युवा_चले_उस_कदम_जमाना_है। 
मुश्किल आयेगी जायेगी 
मैने चलना नही छोड़ा, 
रण मे रहा अकेला भी, 
 मैने लड़ना तो नही छोड़ा
तुम क्या दे सकते दुनिया ऐसा कुछ प्रयास करो 
प्रेम पतंगे बन कर के जीवन का न ह्राश करो। 
जन्म मिला है मानुष का कुछ इसका मोल कर
कूद जा तू सेवा मे जाति धर्म छोड़कर 
पीढ़िया भी करे गर्भ ऐसा कुछ कर जाओ, 
क्या ये सही सिर्फ़ अपनों पे ही मर जाओ, 
ले मशाल ज्ञान की, अंधेरा भी जायेगा, 
आज उनका है तो कल भी तेरा आयेगा। 
घर मकान को नही हमे देश को बनाना है, 
रुपया सेहत संस्कार सभी को साथ लाना है 
चले जहा पे बेटियाँ वो रास्ता बनायेगे 
बेटी -बेटा भेद को साथ मे मिटाना है, 
जिस कदम युवा बड़े उस कदम जमाना है................. 


✍️ © अविनाश पाठक

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