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सोच का आकार | अविनाश पाठक
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नोट :- इस लेख को अगर आप कई बार पड़ेंगे सत्य को जितना समझ लेंगे आपकी सोच का स्तर और दायरा बड़ेगा ब्रह्मांड में अरबो आकाशगंगाये है उसमे से हमारा सौर मंडल जिसमे 9 गृह है हमारा गृह पृथ्वी है जिसपे करोडो प्रजाति रहती है पेड़, पौधे, जीव, जंतु मानव ( home sepience)ही 800 करोड़ हो गए। 7 महाद्वीप और मानवों ने 196+ देशों में बाँट दिया है भारत जो पहले 17 देशों जितना था आर्यावर्त कहते थे अभी भारत कहते है जो अभी 29 प्रदेश 748 जिले या 6.50 लाख गांवों में फैला है । तो अब जरा सोचिए आप कैसे सोचते है दुनिया बड़ी है या छोटी इसको में कई नजरिये से समझा सकता हूँ धार्मिक, सामाजिक, वैज्ञानिक, नज़रिया बदलने से समझ भी बदल जाती हैं पर सत्य कैसा भी हो स्वीकार हो यही हमें बड़ने मे मदद करता है। पृथ्वी पर मेरा उद्देश्य पर्यावरण की रक्षा, हर जीव को समान अधिकार दिलाना है इसलिए UHO को बनाया। आप क्या करने बाले है अपने गृह के लिए मानवों की सोच इस गृह पर बदलाव लाते है छोटी सोच...