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मेरे भगवान

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दुनिया में जितने भी मान्नताये हैं सारे इन्सान के द्वारा बनाए रखने गयी है ।में साफ करना चाहता हु भविष्य में कभी द्वंद ना हो इसलिए में अपने इरादे साफ कहना चाहता हु।  जो भी मान्यता जहा पैदा हुई है उसे उसी स्थान पर रहना चाहिए था ।( ईसाई ,इस्लाम और ) पर हर संस्कृति का स्वागत करना ही आर्यव्रत (वर्तमान भारत) की पहचान है । पररिस्थितियो को देखकर लगता है यह साफ करना होगा सत्य बताना होगा ।भारत के दो ही धर्म है पहला है सनातन (प्राकृतिक नियम ) और दूसरा भारतीयता प्राकृतिक नियमो को जो समानता के समर्थन करते है ।  इसके अलावा बाकी सब मान्यताये इसके बाद आई है जो कि इसी का लघु रूप है क्योंकि सनातन नियम केवल सात्विक बुद्धि की समझ मे आते है ऐसा मेरा जीवन के प्रयोग है ।  भारत मे हर धर्म के लोग रह सकते है पर भारत का धर्म एक था एक है और एक रहेगा ।  वर्तमान में हर मान्यता का का रूप विगड़ता जा रहा है क्योकि इंसानों को अपने नाम की चाह में अपना मतलब लगाकर हर धर्म और मान्यताओं को बिगाड़ दिया है । मेरा काम सभी मान्यताओ को सीखकर उनमे सुधार करना है ।जीवन को इसी लक्ष्य में दे रहा हु । मेरा ...